This news in Hindi says that a family was saved from breakup because though the wife and in-laws wanted to file false complaint of torture under 498a against husband and in-laws; an accidental voice recording showed that it was a con-game and so it boomeranged on wife and in-laws. So far so good! But the hilarious part is that the husband’s family still are willing to live with their lovely daughter in law!
That’s why I love the saying: “God helps them who help themselves”…
दहेज़ निवारण अधिनियम की भेंट चढ़ने से बच गया एक परिवार: वाराणसी, १३ अप्रैल २०१०इसे चमत्कार कह लीजिये या फिर कुछ और, मगर आज सोमवार को नगर का एक परिवार दहेज़ उत्पीडन अधिनियम की भेंट चढ़ने से बच गया. हुआ यूँ कि चित्रकूट के एक परिवार की लड़की नेहा की शादी लगभग दो साल पहले मंदुवादीह थाना अंतर्गत शिवदासपुर निवासी संजय से हुई (सभी नाम काल्पनिक हैं). संजय फेरी लगाकर कपड़े बेचने का
काम करता है. और आमदनी की स्थिरता न होने से पति-पत्नी में आये दिन तकरार होती रहती थी. मगर संयुक्त परिवार में रहकर कड़ी मेहनत करने वाले संजय के खिलाफ लडाई में नेहा ने खुद को अकेले पड़ते देखकर अपने माता-पिता से सारी बातें करनी शुरू कर दीं. और चित्रकूट में रहने वाले नेहा के माता-पिता अचानक ही आज सोमवार की सुबह, पुलिस के साथ संजय के घर पहुँच गए. और पुलिस संजय को पकड़कर कोतवाली
स्थित महिला थाने में ले आयी. थाने में नेहा चीख-चीखकर संजय पर आरोप लगाने लगी कि मेरा पति आये-दिन मारता पीटता रहता है और पूरा परिवार दहेज़ के लिए परेशान करता है. उसने सबूत के बतौर अपनी चोटें भी दिखाईं. नेहा की चीत्कारों से पूरा थाना पसीज उठा. पुलिसिया कार्रवाई से घबराये संजय के परिवार वालों ने इसी बीच एक गैर सरकारी संस्था के लोगों से संपर्क करके फर्जी ढंग से फंसाए जाने की
जानकारी दी और एक सी.डी. सौंपी जिस पर संस्था के लोगों ने महिला थानाध्यक्ष से एक घंटे की मोहलत माँगी. संयोग से संजय के ८ साल के भतीजे ने खेल खेल में मोबाईल का रेकॉर्डर उस समय दबा दिया था जब रविवार को नेहा और उसकी माँ के बीच लम्बी बातचीत हो रही थी. इस मोबाईल रेकॉर्डिंग में माँ अपनी बेटी नेहा को समझा रही थी, कि डरने की जरूरत नहीं है... हम लोग मिलकर संजय और उसके परिवार वालों
को दहेज़ कानून में जेल भेजवा देंगे. बस तुम अपनी चूड़ियाँ तोड़ कर, खुद अपने से खुद को घायल कर लेना और शरीर में खुद अपने से जगह-जगह घाव बना लेना. फिर हमें फोन कर देना. हम तुरंत बनारस पहुँच कर पुलिस को लेकर घर पहुँच जायेंगे और पूरे परिवार को जेल की हवा खिला देंगे. संजय के पकडे जाने के एक घंटे के बाद जब यही रेकॉर्डिंग महिला पुलिस थाने में सुनायी गयी तो पुलिस वालों के पैरों तले
जमीन खिसक गयी. जिस लडकी ने सबका दिल पसीजा दिया था, अब वही लडकी और उसके परिवार वाले कटघरे में थे. मगर लड़के और उसके परिवार वालों ने उदारता का परिचय देते हुए लड़की वालों के खिलाफ फर्जी ढंग से फंसाने का मुक़दमा कराने से इनकार कर दिया. और लड़के की माँ ने इतना ही कहा कि यह हमारी बहु थी और आज भी हम उससे उतना ही प्यार करते हैं. इसके बाद थानाध्यक्ष की उपस्थिति में दोनों पक्षों के बीच
समझौता हुआ कि लडकी एक महीने के लिए अपने मायके जायेगी और उसके बाद लड़के वाले विदाई करके बनारस लायेंगे. खैर जो भी हो, एक छोटे बच्चे द्वारा 'गलती' से हुई मोबाईल रेकॉर्डिंग ही परिवार के लिए कवच बन गया और एक पूरा का पूरा परिवार जेल जाने से बच गया. .