It is commonly seen that Indian courts do not ‘encourage’ filing of cases of perjury (lying under oath), false allegation, false evidence etc, even though there are provisions in Indian Penal Code IPC and criminal procedure code CrPC for all these.
Recent news shows that a Jaipur court has allowed prosecution for giving a forged and false document as evidence. It is a good start.
http://www.rajasthanpatrika.com/city-news/jaipur/06022010/jaipur--news/78030.html
जयपुर। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जयपुर शहर ने किरायेदारी के फर्जी दस्तावेज तैयार करने के मामले में पिता-पुत्री समेत तीन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है। अदालत ने परिवाद को विधायकपुरी थाने भिजवा दिया है।
अदालत ने पृथ्वीराज नगर, महारानी फार्म निवासी परिवादी त्रिलोक माथुर के परिवाद पर यह आदेश दिए। परिवाद में भागीरथ कॉलोनी, चौमू हाउस निवासी आकांक्षा माथुर, उनके पिता अरविन्द माथुर व आशा माथुर को आरोपी बनाया है। परिवादी त्रिलोक माथुर ने बताया कि आकांक्षा माथुर ने उनके खिलाफ घरेलू हिंसा अधिनियम में परिवाद दायर कर रखा है।
अधिक भरण-पोषण राशि लेने की नीयत से आकांक्षा ने खुद को उनकी पडोसी आशा माथुर का किरायेदार बताकर फर्जी व कूटरचित दस्तावेज अदालत में पेश किए है, जबकि आकांक्षा उस मकान में किराये से निवास नहीं कर रही है। इस बारे में विधायकपुरी थाना पुलिस से सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी मिली है।